बच्ची की जिद पर बने 20,543 टॉयलेट

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हर माता-पिता को अपने बच्चे की जिद के आगे झूकना पडता है लेकिन एक सात वर्षीय बच्ची की जिद के आगे पूरे गांव को झूकना पडा। जी हां सीहोर में स्वच्छता को लेकर एक बच्ची की जिद ने पूरे गांव में टॉयलेट बनवा दिया। यहां एक साल में गांववालों ने 20,543 टॉयलेट बना लिए हैं। एक संस्था के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर 7वीं कक्षा में पढने वाली सुषमा ने अपनी मां से घर में टॉयलेट बनवाने की जिद की। सुषमा की विधवा मां के पास शौचालय बनवाने के लिए पैसे नहीं थे तो उसने सरपंच से बात की।

सरपंच से पैसे उधार लेकर मां-बेटी ने गड्ढा खोदा और घर में शौचालय बनवाया। मां-बेटी के इस प्रयास से गांववालों को प्रेरणा मिली और उन्होंने भी घरों में टॉयलेट बनवाए। आज इस गांव के सभी 202 घरों में टॉयलेट हैं। जहांगीरपुरा गांव में ओम लोधी ने पत्नी के जेवर गिरवी रखकर 10 हजार रूपए कर्ज लेकर टॉयलेट बनवाया। बाद में पंचायत से सरकारी योजना के 8 हजार रूपए भी मिले। रायपुरा नयाखेडा गांव के रतन सिंह पत्नी अचरज बाई नेत्रहीन है। उन्हें बाहर जाने में काफी परेशानी होती थी। बेटे नारायण सिंह मेवाडा ने भी कर्ज लेकर टॉयलेट बनवाया। पहले निर्मल भारत अभियान के तहत 4600 रू. और मनरेगा से 5400 रू. प्रति टॉयलेट मिलते थे। दो अक्टूबर से इसे स्वच्छ भारत मिशन का नाम दिया है। अब 12 हजार रूपए मिलेंगे।

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