ड्रोन जल्द ही मौसम गुब्बारों की जगह ले सकते हैं

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नई दिल्ली, बुधवार, 08 जून 2022। भारत दिन में दो बार देश भर में कम से कम 55 स्थानों से मौसम गुब्बारों के माध्यम से सेंसर भेजकर वायुमंडलीय आंकड़ें एकत्र करता है लेकिन अब जल्द ही ड्रोन इन मौसम गुब्बारों की जगह ले सकते हैं। मौसम के गुब्बारे द्वारा ले जाया जाने वाला टेलीमेट्री उपकरण रेडियोसॉन्ड में लगे सेंसर वायुमंडलीय दबाव, तापमान, हवा की दिशा और गति को दर्ज करता है। हाइड्रोजन युक्त मौसम गुब्बारा 12 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता है और रेडियो सिग्नल के जरिए जमीनी रिसीवर को डाटा भेजता है। हालांकि, मौसम गुब्बारे और रेडियोसॉन्ड को प्राप्त नहीं किया जा सकता क्योंकि वे उन मौसम केंद्रों से दूर चले जाते हैं जो उन्हें वातावरण में छोड़ते हैं।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम अब इन वायुमंडलीय आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए ड्रोन का उपयोग करने की संभावना तलाश रहे हैं जो मौसम की भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण है।’’ विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि मौसम संबंधी आंकड़ें एकत्र करने के लिए सेंसर से लैस विशेष ड्रोन पारंपरिक मौसम गुब्बारों के स्थान पर बेहतर साबित हो सकते हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) मौसम केंद्रों के माध्यम से देश भर में 550 स्थानों से मौसम के आंकड़े एकत्र करता है और रेडियोसॉन्ड का अध्ययन करता है, जिनका इस्तेमाल मौसम पूर्वानुमान जारी करने में किया जाता है। मौसम गुब्बारों की तुलना में ड्रोन का सबसे अधिक लाभ यह है कि उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है, कम या ज्यादा ऊंचाई पर उड़ने के लिए निर्देशित किया जा सकता है। आईएमडी की योजना पांच किलोमीटर की ऊंचाई तक के डेटा को इकट्ठा करने के लिए ड्रोन का उपयोग करने और पारंपरिक मौसम गुब्बारों का उपयोग करके एकत्र किए गए डाटा के साथ तुलना करने की है।

आईएमडी ने मौसम के आंकडें एकत्र करने के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी की क्षमता को परखने के लिए शिक्षाविदों और अन्य को आमंत्रित किया है। मौसम के गुब्बारे की उड़ान आमतौर पर दो घंटे तक चलती है, जबकि आईएमडी को ड्रोन का उपयोग करके 40 मिनट की उड़ान से डाटा एकत्र करने की उम्मीद है। यदि आईएमडी को इसमें सफलता मिलती है, तो एक महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि इससे रेडियोसॉन्ड के नुकसान को कम किया जा सकेगा क्योंकि आईएमडी हर दिन 100 से अधिक ऐसे उपकरणों को खो देता है क्योंकि मौसम के गुब्बारों को उनकी उड़ान के बाद पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

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