वायुसेना ने मार्शल ऑफ एयर फोर्स अर्जन सिंह को याद किया

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नई दिल्ली, शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022। वायुसेना आज अपने जांबाज यौद्धा दिवंगत मार्शल ऑफ एयर फोर्स अर्जन सिंह (डीएफसी) को उनकी 103वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है। वायु सेना और समूचा राष्ट्र वायु सेना को उनके अप्रित योगदान के प्रति नतमस्तक है। मार्शल ऑफ एयरफोर्स अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल, 1919 को लायलपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) में हुआ था। उन्नीस वर्ष की आयु में उन्हें आरएएफ कॉलेज क्रैनवेल में प्रशिक्षण के लिये चुना गया तथा दिसंबर 1939 में उन्हें पायलट ऑफीसर के तौर पर रॉयल एयरफोर्स में कमीशन मिला। उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बर्मा अभियान में शानदार नेतृत्व, कौशल और साहस के लिये डिस्टिंग्विइश्ड फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से सम्मानित किया गया। जब 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ, तो उन्हें ऐतिहासिक लाल किले के ऊपर से सौ से अधिक विमानों के फ्लाई पास्ट का नेतृत्व करने का अनोखा सम्मान दिया गया। एक अगस्त, 1964 को अर्जन सिंह ने 44 वर्ष की आयु में वायुसेना प्रमुख का कार्यभार संभाला।

सितंबर 1965 में भारत के लिये उस समय परीक्षा की घड़ी आई, जब पाकिस्तान ने "ऑप्रेशन ग्रैंड स्लैम" शुरू किया, जिसमें अखनूर के महत्त्वपूर्ण शहर को निशाना बनाया गया। जब उन्हें रक्षा मंत्री के कार्यालय में बुलाया गया और उनसे सवाल किया गया कि भारतीय वायुसेना कितनी जल्दी इस स्थिति का जवाब देने के लिए तैयार हो सकती है, तो उन्होंने अपने चिर-परिचित निश्चिंत अंदाज में कहा, "घंटे भर में," और, वास्तव में वायुसेना ने घंटे भर में पाकिस्तानी हमले का करार जवाब दिया तथा पाकिस्तानी वायुसेना पर हावी हो गई। इस तरह हमारी सेना वायु सेना से जीत में सामरिक सहयोग मिला। वर्ष 1965 के युद्ध में उनके शानदार नेतृत्व के लिए उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। अर्जन सिंह वायुसेना के पहले एयर चीफ मार्शल बने। जुलाई 1969 में सेवानिवृत्त होने के बाद वे वायुसेना की बेहतरी और कल्याण के लिये लगातार काम करते रहे। उन्होंने स्विट्जरलैंड और लीचेनस्टीन में 1971 से 1974 तक भारत के राजदूत के रूप में भी सेवायें दीं।

इसके बाद वह नैरोबी, केन्या में 1974 से 1977 तक भारतीय उच्यायुक्त रहे। उन्होंने 1978 से 1981 तक अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य और 1989 से 1990 तक दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में भी काम किया। वायु सेना अधिकारी के तौर पर श्री अर्जन सिंह की सेवाओं का सम्मान करते हुये सरकार ने जनवरी, 2002 में उन्हें मार्शल ऑफ द एयरफोर्स की उपाधि से सम्मानित किया। इस तरह वह वायुसेना के पहले ''फाइव-स्टार'' अधिकारी बने। वायुसेना में उनके योगदान की याद में 2016 में वायु सेना स्टेशन पानागढ़ का नाम बदलकर एयरफोर्स स्टेशन अर्जन सिंह कर दिया गया। उनका जबरदस्त व्यक्तित्व, कामकाजी कौशल, नेतृत्वशीलता और रणनीतिक समझ उन्हें विशिष्ट बनाती है।

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