ऐसे दूर करें द्वार दोष, खुल जाएंगे किस्मत के दरवाजे

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वास्तु शास्त्र के अनुसार द्वार भेद वाले भवन आर्थिक और मानसिक कष्ट का कारण होते हैं। द्वार के सामने किसी प्रकार की कोई बाधा का होना द्वार भेद कहलाता है। कहते हैं कि पूर्व दिशा की ओर स्थित द्वार को दोष रहित माना गया है फिर भी अगर भवन में अन्य कोई वास्तु दोष है तो ऐसे भवन में निवास करने वाला व्यक्ति क़र्ज़ में डूब सकता है। इसके समाधान के लिए भवन के द्वार के मध्य में शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करके एक पंचमुखी रुद्राक्ष लटका देना चाहिए तथा नियमित रूप से उस रुद्राक्ष और भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।

अगर भवन का द्वार पश्चिम दिशा में है तो अक्सर ऐसे भवन में रहने वालों को बरकत में कमी आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस द्वार दोष को दूर करने के लिए शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार के दिन सूर्योदय से पहले एक लाल रंग के कपड़े में एक नारियल तथा कुछ तांबे के सिक्के बांधकर द्वार के सामने भूमि में दबा देने चाहिए और प्रत्येक रविवार को बिना नागा सूर्य मंत्र का जप करते हुए हवन करना चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन में उत्तर दिशा की ओर स्थित द्वार सदैव शुभ और लाभकारी होता है। अगर किसी कारण से द्वार दोष होने से समस्याएं आ रही हों तो ऐसे भवन के द्वार पर पीले रंग के फूलों की माला लटका देनी चाहिए। भवन में दक्षिण दिशा में स्थित द्वार को शुभ नहीं माना गया है। दक्षिण दिशा में द्वार होने पर आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।

इस दोष से बचाव के लिए भवन के द्वार पर शुक्ल पक्ष के बुधवार अथवा गुरूवार के दिन नीबू या सात कोड़ियों को हल्दी से रंगकर पीले धागे में लटका देना चाहिए। इससे भवन में रहने वालों की समस्याओं का समाधान तो होगा ही, द्वार दोष के अशुभ परिणामों से भी राहत मिलेगी।

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