तरुण गोगोई का अंतिम संस्कार 26 नवंबर को होगा, असम में 3 दिन का राजकीय शोक

गुवाहाटी, मंगलवार, 24 नवम्बर 2020। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के निधन के बाद उनकी अंतिम यात्रा शुरू हो चुकी है और लोग उन्हें प्यार से ऐसे नेता के रूप में याद कर रहे हैं जिन्होंने कभी कठिन समय में उन्हें अकेला नहीं छोड़ा। दिसपुर स्थित गोगोई के आवास के लिये उनकी अंतिम यात्रा मंगलवार की सुबह गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) से शुरू हुयी जहां उनहोंने कोविड-19 के बाद की जटिलताओं के इलाज के दौरान अंतिम सांस ली थी। इलाज के दौरान 84 साल के कांग्रेस नेता का यहां निधन हो गया था। परिवार में पत्नी डॉली के अलावा बेटी चंद्रिमा एवं बेटा गौरव है।
अधिकारियों ने बताया कि गोगोई का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ 26 नवंबर को किया जायेगा। अस्पताल में उनके पार्थिव शरीर को सुरक्षित रखने के लिये उस पर लेप लगाया गया है और उसे उनके आवास पर लाया जा रहा है। वरिष्ठ राजनेता के पुत्र एवं लोकसभा सदस्य गौरव गोगोई ने जीएमसीएच से उनका पार्थिव शरीर लिया। इस दौरान वरिष्ठ नेता एवं सैकड़ों समर्थक वहां मौजूद थे। गोगाई का पार्थिव शरीर कांच के ताबूत में रखा हुआ है जिसे फूलों से लपेटा गया है। ताबूत को गोगोई के बेटे गौरव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा, विपक्ष के नेता देबव्रत सैकिया तथा प्रद्युत बारदोलोई एवं रकीबुल हसन जैसे वरिष्ठ नेताओं ने कंधा दिया। दिवंगत कांग्रेस नेता के पार्थिव शरीर को ले जाये जाने के दौरान कई वरिष्ठ नेता एवं विधायक मौके पर मौजूद थे।राहगीरों ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
गुवाहाटी शिलांग रोड पर उमड़े जन सैलाब में शामिल तरूण नगर इलाके के रहने वाले रमानी शर्मा ने कहा, मैं 75 सल का हूं। जब से कोविड—19 महामारी का प्रकोप आया है तब से मैने एक भी कदम घर से बाहर नहीं रखा। आज मैं घर से अपने प्यारे नेता को विदाई देने के लिये बाहर निकला हूं। उम्र के चौथे दशक को पार कर चुके एक अन्य स्थानीय निवासी हिरायणा सरमा ने बताया कि गोगोई ने असम का नेतृत्व उस वक्त किया जब प्रदेश सबसे कठिन दौर से गुजर रहा था और जब लगभग दो साल से वेतन नहीं मिल रहा था, उग्रवाद अपने चरम पर था, गुप्त हत्याएं निर्बाध रूप से हो रही थीं और सूर्यास्त के बाद किसी को घर से निकलने की हिम्मत नहीं थी। सरमा ने कहा, वह केंद्रीय मंत्री थे और छह बार के सांसद थे।
वह दिल्ली में आलीशान जीवन व्यतीत कर सकते थे, लेकिन वह हम सब के लिये वापस आये। उन्होंने कठिन दौर में हमें कभी नहीं छोड़ा। हम युवाओं का कोई भविष्य नहीं था। लेकिन उन्होंने इस परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया। कांग्रेस प्रवक्ता रितुपर्णा कंवर ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में लड़ने के लिये उन्होंने करीब चार दशक बाद काला कोट पहना था। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने राज्य एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये जीवन जिया। गोगोई को श्रद्धांजलि देने के लिये सैकड़ों की तादाद में लोग एवं पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर नेता दिसपुर के उनके आवास पर मौजूद थे।


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