पूर्व प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर को दो मई को दिल्ली पुलिस के समक्ष पेश होने का निर्देश

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नई दिल्ली, सोमवार, 21 अप्रैल 2025। उच्चतम न्यायालय ने सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा दिव्यांगता श्रेणी के तहत आरक्षण का गलत लाभ उठाने की आरोपी, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की पूर्व प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को दो मई को दिल्ली पुलिस के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई की तारीख 21 मई तक खेडकर के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में कोई ठोस जांच नहीं हुई है और दिल्ली पुलिस को जांच तेजी से पूरी करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि खेडकर से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने उन्हें अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।

खेडकर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिए 2022 संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया है। खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ एक मजबूत मामला पाया और कहा कि व्यवस्था में हेरफेर करने की ‘‘बड़ी साजिश’’ का पता लगाने के लिए जांच की जरूरत है। अदालत ने कहा कि राहत देने से इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

उच्च न्यायालय ने 12 अगस्त, 2024 को जब उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया तब खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया गया था। इसे समय-समय पर बढ़ाया गया था। यूपीएससी ने खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की, जिसमें अपनी गलत पहचान बताकर ओबीसी तथा दिव्यांगता श्रेणी के तहत सिविल सेवा परीक्षा में अधिक बार बैठने का लाभ हासिल करने के प्रयास को लेकर आपराधिक मामला दर्ज करना भी शामिल है। दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ विभिन्न अपराधों के लिए प्राथमिकी भी दर्ज की।

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