राहुल काम करते हुए सीख रहे हैं, प्रियंका ‘‘प्रतिभाशाली लड़की’’ हैं : कर्ण सिंह

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नई दिल्ली, शनिवार, 04 जनवरी 2025। वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ‘काम करते हुए सीख रहे हैं’ और बेहतर हो रहे हैं। उन्होंने प्रियंका गांधी वाद्रा की भी प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘प्रतिभाशाली लड़की’ कहा। पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व सदर-ए-रियासत रह चुके 93 वर्षीय सिंह ने हाल में ‘पीटीआई वीडियो’ से एक साक्षात्कार में आजादी के बाद से नेहरू-गांधी परिवार की चार पीढ़ियों के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बात की।

हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के बाद कठिन सवालों का सामना कर रहे राहुल गांधी के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में सिंह ने कहा, ‘राहुल बहुत अच्छे युवक हैं। मैं उन्हें बहुत पसंद करता हूं।’ अमेरिका में भारत के राजदूत रह चुके सिंह ने कहा कि राहुल गांधी उनके नियमित संपर्क में रहते थे, लेकिन ‘‘हाल में वह ज्यादा संपर्क में नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उनमें सुधार हो रहा है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘हर साल, उनमें सुधार हो रहा है। मुझे लगता है कि वह काम करते हुए सीख रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि राहुल प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं, यह कयास का विषय है, ‘‘लेकिन उनमें काफी क्षमता है और उनके पास खुद को तैयार करने का समय है।’’ सिंह ने कहा कि वह प्रियंका गांधी वाद्रा को तब से जानते हैं जब वह बच्ची थीं। उन्होंने प्रियंका की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘वह काफी प्रतिभाशाली लड़की हैं। उनमें जीवंतता है। वह वाकई प्रतिभाशाली हैं।’’ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल का 36 साल की उम्र में हिस्सा बनने वाले सिंह ने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को अपना ‘गुरु’ बताया।

उन्होंने कहा, ‘…मैं उनके (इंदिरा गांधी के) साथ 10 साल तक कैबिनेट में था। मैंने उनका सबसे बेहतरीन पल- बांग्लादेश की आजादी और उनका सबसे खराब पल- आपातकाल देखा। सब देखा है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘1991 में राजीव गांधी की हत्या एक भयानक त्रासदी थी और उन्हें देश को इक्कीसवीं सदी में ले जाना था।’ संगीत के शौकीन सिंह अब भी गाते हैं और सप्ताह में एक बार रियाज करते हैं। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि 2006 में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी पर विचार किया गया था, लेकिन वामपंथी दलों ने इसे खारिज कर दिया था।

सिंह ने कहा कि 2006 में वामपंथी दलों के साथ एक बैठक में सोनिया गांधी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा था, लेकिन वामपंथी दलों ने कहा, ‘‘हम एक महाराजा को राष्ट्रपति कैसे बना सकते हैं।’’ प्रतिभा पाटिल 2007 में राष्ट्रपति बनी थीं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) में काम कर चुके सिंह ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति न बनाए जाने का कोई अफसोस नहीं है। यह पूछे जाने पर कि 75 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में क्या उनकी कोई ऐसी ख्वाहिश है जो पूरी नहीं हुई, तो सिंह ने हंसकर कहा, ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले… लेकिन दम निकलने वाली कोई ख्वाहिश नहीं है।’

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