नीतिगत दरें नौवीं बार यथावत, मजबूत विकास के बावजूद महंगाई पर नजर

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भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक गतिविधियों में जारी तेजी एवं आगे महंगाई बढ़ने के जोखिम का हवाला देते हुये गुरूवार को लगातार नौवीं बार नीतिगत दरों को यथावत रखने का फैसला किया है जिससे ब्याज दरों में कमी की उम्मीद लगाये आम लोगों को निराशा हाथ लगी है। मई 2022 से 250 आधार अंकों तक लगातार छह बार की वृद्धि के बाद पिछले वर्ष अप्रैल में दर वृद्धि चक्र को रोक दिया गया और यह अभी भी इसी स्तर पर है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मौद्रिक नीति को यथावत बनाए रखने का फैसला किया है। समिति के छह में से चार सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया है। इसके मद्देनजर रेपो दर के साथ ही सभी प्रमुख नीतिगत दरें यथावत हैं और उदार मौद्रिक नीति के रूख को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।

समिति के इस निर्णय के बाद फिलहाल नीतिगत दरों में बढोतरी नहीं होगी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत, स्टैंडर्ड जमा सुविधा दर (एसडीएफआर) 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा दर (एमएसएफआर) 6.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत, फिक्स्ड रिजर्व रेपो दर 3.35 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात 4.50 प्रतिशत, वैधानिक तरलता अनुपात 18 प्रतिशत पर यथावत है। उन्होंने कहा कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें पहली तिमाही 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही 7.2प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीवी वृद्धि का अनुमान है 7.2 प्रतिशत है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

दास ने कहा कि वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण लचीला बना हुआ है, हालांकि गति में कुछ नरमी है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन सेवाओं की कीमतों में मुद्रास्फीति बनी हुई है। एमपीसी की पिछली बैठक के बाद से खाद्य, ऊर्जा और आधार धातुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी आई है। अलग-अलग विकास-मुद्रास्फीति संभावनाओं के साथ, केंद्रीय बैंक अपनी नीतिगत राहों में अलग-अलग हो रहे हैं। इससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता पैदा हो रही है। शेयर बाजार में हाल ही में वैश्विक बिकवाली के बीच, डॉलर इंडेक्स कमजोर हुआ है, सॉवरेन बॉन्ड यील्ड में तेजी से कमी आई है और सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। 

गवर्नर ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधि अपनी गति को बनाए रखना जारी रखती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश में सुधार के साथ स्थानिक प्रसार में तेजी आई है। 7 अगस्त, 2024 तक, यह दीर्घ अवधि के औसत से 7 प्रतिशत अधिक थी। इसने खरीफ की बुवाई को बढ़ावा दिया है, 2 अगस्त तक कुल बुवाई क्षेत्र एक साल पहले की तुलना में 2.9 प्रतिशत अधिक था। मई 2024 में औद्योगिक उत्पादन में 5.9 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। कोर उद्योगों में जून में 4.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि मई में यह 6.4 प्रतिशत थी। जून-जुलाई 2024 के दौरान जारी किए गए अन्य उच्च आवृत्ति संकेतक सेवा क्षेत्र की गतिविधि के विस्तार, निजी खपत में चल रहे पुनरुद्धार और निजी निवेश गतिविधि में तेजी के संकेत देते हैं। अप्रैल-जून के दौरान व्यापारिक निर्यात, गैर-तेल गैर-सोना आयात, सेवा निर्यात और आयात में वृद्धि हुई।

उन्होंने कहा कि मौसम विज्ञान विभाग का अनुमान सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून और स्वस्थ खरीफ बुवाई ग्रामीण मांग में सुधार का समर्थन करेगी। विनिर्माण और सेवाओं में निरंतर गति स्थिर शहरी मांग का संकेत देती है। निवेश गतिविधि के उच्च आवृत्ति संकेतक जैसे कि इस्पात की खपत में मजबूत विस्तार, उच्च क्षमता उपयोग, बैंकों और कॉरपोरेट्स की स्वस्थ बैलेंस शीट और बुनियादी ढांचे के खर्च पर सरकार का निरंतर जोर, एक मजबूत दृष्टिकोण की ओर इशारा करते हैं। विश्व व्यापार की संभावनाओं में सुधार बाहरी मांग का समर्थन कर सकता है। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-आर्थिक विखंडन से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियां, दृष्टिकोण के लिए जोखिम पैदा करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत अनुमानित है, जिसमें पहली तिमाही में 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत है। 2025-26 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत अनुमानित है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

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