आज नवरात्री का पांचवा दिन, इस आरती के साथ करें मां स्कंदमाता की पूजा

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चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च से शुंभारंभ हो गया है। वही आज चैत्र नवरात्र का पांचवा दिन है, इस दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता सनातन धर्म की देवी दुर्गा की एक रूप हैं। वह भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं तथा उन्हें भी मां पार्वती के नाम से जाना जाता है। उन्हें नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा जाता है और उन्हें चंडी के नौ रूपों में से एक माना जाता है। स्कंदमाता को चंडी के नौ रूपों में से नौवें रूप के रूप में भी जाना जाता है। उनका वाहन सिंह होता है तथा उन्हें चांदी का श्रृंगार करके पूजा जाता है। स्कंदमाता के दोनों हाथों में चाकू होता है जो उनकी शक्ति को दर्शाता है। वह सभी प्रकार की दुःखों से मुक्ति दिलाती हैं और भक्तों के मांगों को पूरा करती हैं। 

स्कंदमाता की पूजन विधि:-

  • सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। तत्पश्चात, गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। फिर व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

स्कंदमाता के मंत्र:-
मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है। 
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
 
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
 
संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कंद माता का मंत्र:-
पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कन्द माता हैं। जिन लोगों को संतानाभाव हो, वे माता की पूजन-अर्चन तथा मंत्र जप कर लाभ उठा सकते हैं। मंत्र अत्यंत सरल है -
'ॐ स्कन्दमात्रै नम:।।'
 या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

भोग एवं प्रसाद:
पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए एवं यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से इंसान की बुद्धि का विकास होता है।

स्कंदमाता की आरती:-

जय तेरी हो स्कंद माता 
पांचवां नाम तुम्हारा आता 
सब के मन की जानन हारी 
जग जननी सब की महतारी 
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं 
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं   
कई नामों से तुझे पुकारा 
मुझे एक है तेरा सहारा 
कहीं पहाड़ों पर है डेरा 
कई शहरो मैं तेरा बसेरा 
हर मंदिर में तेरे नजारे 
गुण गाए तेरे भगत प्यारे 
भक्ति अपनी मुझे दिला दो 
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो 
इंद्र आदि देवता मिल सारे 
करे पुकार तुम्हारे द्वारे 
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए 
तुम ही खंडा हाथ उठाए 
दास को सदा बचाने आई 
'चमन' की आस पुराने आई... 

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