सम्पन्नता और समृद्धि के लिए करें मां दुर्गा का यह पाठ

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मां दुर्गा को सभी पाप और दुखों को मिटाने वाली देवी कहा गया है। कहते हैं कि मां दुर्गा की स्तुाति में यदि इस खास पाठ का कुछ विशेष दिनों में ही पठन किया जाए तो आपको हर काम में सफलता मिलने लगती है और आपके घर में समृद्धि का वास होने लगता है। कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ आपमें एनर्जी का संचार करता है। इसके पाठ करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि दुर्गा सप्तशती की पुस्तक अपने हाथ में या जमीन पर न रखी जाए बल्कि किसी आधार पर रखने के बाद ही दुर्गा सप्तशती का पाठ आरम्भ किया जाए।

पाठ करते समय न तो पाठ को मन ही मन में पढ़ा जाये और न ही पाठ का उच्चारण स्वर बहुत तेज हो बल्कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय वाचक का स्वर संतुलित एवं मध्यम रहे। पाठ करते समय मन को एकाग्रचित्त बनाये रखना भी बहुत आवश्यक है, वरना पाठ करने का कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा। 

दुर्गा सप्तशती के पाठ के बाद माँ भगवती दुर्गा की जय-जयकार भी करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती के पाठ से पूर्व भगवान् श्री गणेश, भोलेनाथ, विष्णु भगवान, लक्ष्मीजी, सरस्वतीजी एवं महाकाली का ध्यान करना चाहिए। तत्पश्चात विधि पूर्वक कलश, पञ्च लोकपाल, दस दिकपाल, सोलह मातृका, नवग्रह आदि का पूजन करते हुए दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्यायों का पाठ करना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती के पाठों में शापोद्धार सहित कवच, अर्गला, कीलक एवं तीनों रहस्यों को भी पढ़ना चाहिए। पाठ पूर्ण होने के बाद नवार्ण मन्त्र का 108 बार जप करना चाहिए। इसके बाद पुनः शापोद्धार, उत्कीलन, मृत संजीवनी विद्या के मन्त्र, ऋवेदोक्त देविसुक्त, प्राधानिक रहस्य, वैकृतिक रहस्य, मूर्ति रहस्य, सिद्धिकुंजिकास्त्रोत, क्षमा प्रार्थना, भैरवनामावली पाठ, आरती तथा मन्त्र पुष्पांजलि के साथ पाठ का समापन करना चाहिए। जो लोग किसी कारण से दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में असमर्थ हों वे नवरात्र में व्रत रखकर प्रतिदिन माँ भगवती के समक्ष हवन व आरती कर सकते हैं। नवरात्र के दिनों में देवी पूजन की पूर्णता के लिए कन्या-लांगुरों की पूजा करके उन्हें प्रसाद देकर प्रसन्न करना भी जरुरी है इससे माँ भगवती की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

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