30 जून से प्रारंभ हो रही है गुप्त नवरात्र, इस तरह से करें पूजन

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आषाढ़ मास में आने वाली गुप्त नवरात्रि के बारे में बहुत कम लोगो को जानकारी होती है। आप सभी जानते ही होंगे गुप्त नवरात्रि में गुप्त साधना के लिए मां भगवती के अलग-अलग रुपों की पूजा अर्चना करते है। जी हाँ और हम आपको यह भी बता दें कि इस बार आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र 30 जून से प्रारंभ होकर 8 जुलाई का संपन्न होंगे। आप तो जानते ही होंगे नवरात्र हर साल में चार बार आते हैं। इनमे से दो बार गुप्त और दो बार सामान्य रूप से नवरात्रि मनाई जाती है। जी दरअसल गुप्त नवरात्रि में साधक बाधाओं का नाश करने के लिए देवी उपासना करते हैं और इस नवरात्रि का खास महत्व होता है।

जी दरअसल गुप्त नवरात्र की पूजा को गोपनीय रखा जाता है और साधना जितनी गुप्त होगी उसका फल भी उतना ही फलदायी होगा। जी दरअसल इस नवरात्र में देवी की दस महाविद्याओं की साधना और आराधना करने का विधान है और इनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बंगलापुरी, मातंगी और मां कमला देवी की साधना होती है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- आप सभी को बता दे कि गुप्त नवरात्र में कलश स्थापना करने पर सुबह शाम दोनों समय मंत्र जाप, चालीसा और सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए। इसी के साथ मां भगवती को लौंग और बताशे का भोग भी लगाए।

इस बार गुप्त नवरात्र 30 जून गुरुवार को प्रारंभ हो रहे हैं और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5:26 बजे से सुबह 6:43 बजे तक रहेगा। जी हाँ और इस समय विधि विधान से कलश स्थापना कर विधि पूर्वक पूजा उपासना कर संकल्प लें। कहा जाता है गुप्त नवरात्रि में देवी के समक्ष घी का दीपक चलाने और लाल फूलों की माला चढ़ाने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।इसी के साथ गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की आराधना की जाती है, जो शक्ति का स्वरूप है। आप सभी को बता दें कि गुप्त नवरात्र में मां शक्ति के सभी रुपों की उपासना करने से शारीरिक शक्ति और मानसिक शांति मिलती है।

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