हड़ताल पर गए डॉक्टर, आपात सेवाएं बाधित

नई दिल्ली, गुरूवार, 01 अगस्त 2019। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में रेजीडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने और आपात विभाग समेत सभी सेवाएं रोक दिए जाने के कारण यहां एम्स और आरएमएल समेत कई सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाएं बृहस्पतिवार को बाधित हो गईं।रेजीडेंट डॉक्टरों ने धमकी दी है कि यदि एनएमसी को राज्यसभा में पेश और पारित किया जाता है तो वे बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे।
रेजीडेंट डॉक्टर ओपीडी, आपात विभागों और आईसीयू में काम नहीं करेंगे।चिकित्सा जगत के व्यापक विरोध के बीच स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार रात ट्वीट किया कि वह एनएमसी विधेयक को बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश करेंगे।उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिलाया कि यदि यह ‘‘ऐतिहासिक’’ विधेयक पारित हो जाता है तो इससे ‘‘चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव’’ होंगे।एनएमसी भ्रष्टाचार के आरोप झेल रही भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की जगह लेगा। यह विधेयक 29 जुलाई को लोकसभा में पारित हुआ था।
‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (एफओआरडीए) के अध्यक्ष डॉ. सुमेध संदनशिव ने आरोप लगाया कि यह विधेयक ‘‘गरीब विरोधी, छात्र विरोधी और अलोकतांत्रित है।’’ एम्स, आरएमएल और शहर के अन्य अस्पतालों की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने हड़ताल के संबंध में संबंधित प्रशासनों को बुधवार को नोटिस दिया था। एफओआरडीए के आह्वान पर दिल्ली के कई सरकारी अस्पताल भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं।
एलएनजेपी के डॉक्टर किशोर सिंह ने कहा,‘‘ओपीडी सेवाएं बंद हैं और किसी मरीज के लिए नए कार्ड नहीं बनाए जाएंगे। आपातकालीन विभाग में भी सेवाएं बाधित होने की आशंका है, लेकिन हम प्रबंधन करने की कोशिश करेंगे।’’ एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर बृहस्पतिवार को प्रदर्शन करेंगे और दोपहर को संसद की ओर मार्च करेंगे। हड़ताल के नोटिस के बाद कई अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए आकस्मिक योजनाएं लागू की गई हैं।
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने भी विधेयक की कई धाराओं पर आपत्ति जताई है। आईएमए ने बुधवार को 24 घंटे के लिए गैर जरूरी सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया था।देश में डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के सबसे बड़े संगठन ने अपनी स्थानीय शाखाओं में प्रदर्शन और भूख हड़ताल का आह्वान किया था तथा विद्यार्थियों से कक्षाओं का बहिष्कार करने का अनुरोध किया था। संगठन ने एक बयान में चेताया था कि अगर सरकार उनकी चिंताओं पर उदासीन रहती है तो वे अपना विरोध तेज करेंगे। एफओआरडीए, यूआरडीए और आरडीए-एम्स के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई संयुक्त बैठक में एनएमसी विधेयक 2019 का विरोध करने का संकल्प लिया गया था।


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