पर्यावरण को बचाने के लिए विकास को विनियमित करने की जरूरत : न्यायमूर्ति स्थालेकर

img

भुवनेश्वर, रविवार, 15 मई 2022। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी), कोलकाता के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर ने कहा कि विकास को विनियमित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की कीमत पर विकास नहीं होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पृथ्वी का तापमान बढ़ा और इसे रोकने का प्रयास नहीं गया तो, पूरी दुनिया के ग्लेशियर पिघलने लगेंगे। न्यायमूर्ति स्थालेकर ने कहा कि इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों सहित तटीय इलाके जलमग्न हो जाएंगे।

न्यायमूर्ति स्थालेकर ने यह विचार शनिवार को शिक्षा ‘ओ’ अनुसंधान विश्वविद्यालय में आयोजित ‘ओडिशा पर्यावरण कांग्रेस-2022’ को संबोधित करते हुए रखा। इस कार्यक्रम का आयोजन एनजीटी और ओडिशा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की साझेदारी में किया गया था। उन्होंने रेखांकित किया कि विकास, पर्यावरण की कीमत पर हो रहा है। न्यायमूर्ति स्थालेकर ने कहा कि एनजीटी ने तटीय नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) का उल्लंघन कर समुद्र के किनारे रिसॉर्ट के निर्माण के खिलाफ निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति स्थालेकर ने कहा, ‘‘ऐसे निर्माण तटों पर हो रहे हैं जबकि सीआरजेड के नियम उच्च ज्वार के 500 मीटर के दायरे में इस तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं देते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप पर्यावरण से नहीं खेल सकते हैं।’’ इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे। न्यायमूर्ति स्थालेकर ने कहा, ‘‘हमारे आसपास पर्यावरण को हो रही क्षति के प्रति जीवंत रहिए, सतर्क रहिए एवं जागरूक रहिए।’’ प्लास्टिक और पॉलिथीन के इस्तेमाल पर नाराजगी जताते हुए उन्होंन कहा कि उनका विचार है कि ऐसी वस्तु के इस्तेमाल को रोक देना चाहिए जो अगले 400 साल में भी नहीं सड़ती। एनजीटी, कोलकाता में विशेष सदस्य सैबल दासगुप्ता ने कहा कि देश में हर साल 5.29 करोड़ टन ठोस कचरा पैदा होता है जिनमें 56 लाख टन प्लास्टिक कचरा है।

Similar Post

LIFESTYLE

AUTOMOBILES

Recent Articles

Facebook Like

Subscribe

FLICKER IMAGES

Advertisement