विष्णु सहस्रनाम के पाठ से बिगड़े काम बनने की है मान्यता, जानिए विधि

भगवान विष्णु संसार के पालनहार माने जाते हैं। विष्णु की सबसे बड़ी स्तुति विष्णु सहस्रनाम मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु की उपासना से जीवन आसान हो जाता है। विष्णु सहस्रनाम में भगवान विष्णु के एक हजार नामों के बारे में बताया गया है। मान्यता है कि इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में आ रही समस्याओं का हल हो जाता है। क्या आप विष्णु सहस्रनाम की महिमा जानते हैं? साथ ही क्या आपको पता है कि इसकी पूजा विधि क्या है? और इस स्तोत्र की ताकत क्या है? यदि नहीं तो चलिए विष्णु पुराण के अनुसार आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
भगवान विष्णु के बारे में कहते हैं कि इनका नाम लेने मात्र से जन्म और मरण के बंधनों से छुटकारा मिल जाता है। विष्णु देव इस संसार के पालनकर्ता माने जाते हैं। माना जाता है कि इनकी पूजा-उपासना से जीवन का निर्वाह आसान हो जाता है। ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र के पाठ से कुंडली का बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। साथ ही इसके श्लोक से हर ग्रह और नक्षत्र को नियंत्रित किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बृहस्पति कमजोर होने से पेट से संबंधित परेशानी हो जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र के पाठ की सलाह दी जाती है। कहते हैं कि जब संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो तो ऐसे में भी विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ होता है। इसके अलावा वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए भी इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए कहा जाता है।
विधि: विष्णु सहस्रनाम का प्रतिदिन सुबह में करना चाहिए। इस दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें।
- पाठ शुरू करने से पहले और बाद में भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- विष्णु का ध्यान मंत्र है- "शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥"
- पीले वस्त्र पहनकर या पीली चादर ओढ़कर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- भोग में गुड़ और चने या पीली मिठाई का प्रयोग करें।
- विष्णु सहस्रनाम के पाठ के लिए बृहस्पतिवार का दिन शुभ है।
- बृहस्पतिवार की शाम नमक का सेवन न करें।
- पाठ के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए।


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