आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से देश के भविष्य की आधारशिला रखी

नई दिल्ली, शनिवार, 30 मई 2020। मोदी जी पिछले छह वर्षों से इस देश का सफलतापूर्वक नेतृत्व कर रहे हैं। यह उनके दूसरे कार्यकाल का पहला वर्ष है जो पूरा हुआ है। यह वर्ष घटना प्रधान रहा। मोदी जी के काम को तीन-आयामी गतिविधियों के रूप में देखा जा सकता है। पहली, कुछ ऐतिहासिक राष्ट्रीय पहलें। दूसरी, कोविड19 से संघर्ष, और तीसरी आत्मनिर्भर भारत के जरिये भारत के भविष्य की आधारशिला रखना। धारा 370 का उन्मूलन, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में निर्माण, नागरिकता संशोधन विधेयक का पारण, ट्रिपल तलाक का उन्मूलन तथा राम मंदिर निर्माण की राह प्रशस्त करने को राष्ट्रीय और ऐतिहासिक राजनीतिक पहलों के रूप में बताया जा सकता है। इसके बाद कश्मीर की स्थिति में सुधार हुआ है।
अब तो वहां इंटरनेट भी बहाल कर दिया गया है। हमारी सेना पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर नजर रखे हुए है। आधी सदी से अधिक पुराने बोडो संकट को समाप्त करने के लिए एक व्यापक समझौता किया गया जिससे समाज के सभी वर्ग बहुत खुश हैं। इसी प्रकार त्रिपुरा, भारत सरकार और मिजोरम के बीच त्रिपक्षीय समझौते से ब्रु-रीन शरणार्थी संकट सफलतापूर्वक हल हो गया है। इसके अलावा मोदी सरकार ने एक वर्ष में अनेक प्रमुख सामाजिक पहलें भी की हैं जैसे गर्भावस्था के दौरान छह महीने की छुट्टी; चिकित्सकीय गर्भ समापन विधेयक, 2020; सहायक प्रजनन तकनीक (नियमन) विधेयक, 2020 तथा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण कानून में संशोधन।
कोविड-19 से लड़ने में हमने सबसे लंबा और बहुत सख्त लॉकडाउन रखा जिससे देश में न्यूनतम क्षति संभव हो सकी। अनेक क्षेत्रों में हम सक्षम नहीं थे। हमारे यहां कोविड का कोई अस्पताल नहीं था। अब हमारे पास 800 से अधिक ऐसे अस्पताल हैं। हमारे पास कोविड परीक्षण के लिए केवल एक प्रयोगशाला थी और अब हमारे पास ऐसी 300 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं। पीपीई सूट, मास्क और यहां तक कि 'स्वाब स्टिक' भी आयात की जा रही थी। हम आत्मनिर्भर बन गए और अब यह 'मेक इन इंडिया' की एक कहानी है। अब तो भारत में भी वेंटिलेटर का उत्पादन किया जा रहा है।
कुल 165 डिस्टलरियों और 962 निमार्ताओं को हैंड सैनिटाइटर बनाने के लिए लाइसेंस दिये गये, जिसके परिणामस्वरूप 87 लाख लीटर हैंड सैनिटाइजर का उत्पादन किया गया। सरकार ने स्वास्थ्य पैकेज के रूप में 15,000 करोड़ रुपये और राज्य आपदा राहत कोष के लिए 11,000 करोड़ रुपये जारी किये ताकि राज्य इस महामारी की चुनौती का मुकाबला बिना उधार पैसा लिए कर सकें। कोविड-19 से लड़ाई में 3000 रेल गाड़ियों से लगभग 45 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके घर वापस भेजा गया है। विदेशों में फंसे हजारों भारतीय निवासियों को भी सफलतापूर्वक निकाला गया है।


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